कतरा कतरा मिलती है _ इजाजत (१९८६)



कतरा कतरा मिलती है 
कतरा कतरा जीने दो 
जिंदगी है, बहने दो
प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो
रहने दो ना.. ..

कल भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था
नींद में थी तुमने जब छुआ था
गिरते गिरते बाहों में बची मैं
सपने पे पाँव पड़ गया था
सपनों में बहने दो
प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो
रहने दो ना.. ..

तुम ने तो आकाश बिछाया
मेरे नंगे पैरों में जमीन है
पाके भी तुम्हारी आरजू है
शायद ऐसी ज़िंदगी हँसी है
आरजू में बहने दो
प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो
रहने दो ना.. ..

हलके हलके कोहरे के धुए में 
शायद आसमां तक आ गयी हूँ
तेरी दो निगाहों के सहारे
देखो तो कहा तक आ गयी हूँ
कोहरे में बहने दो
प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो
रहने दो ना.. ..


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