सुख के सब साथी



सुख के सब साथी
सुख के सब साथी, दुख में ना कोई
मेरे राम, तेरा नाम एक साचा दूजा ना कोई
जीवन आनी जानी छाया, झूठी माया, झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरियाँ, पाप की गठड़ी ढोई
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा, ये जग जोगीवाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का, अंत एक सा होई

बाहर की तू मांटी फांके, मन के भीतर क्यों ना झांके
उजले तन पर मान किया, और मन की मैल ना धोई



गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण
गायक : मोहम्मद रफी
संगीतकार : कल्याणजी आनंदजी 
चित्रपट : गोपी (१९७०)

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