ये रातें, ये मौसम, नदी का , ये चंचल हवा


ये रातें, ये मौसम, नदी का , ये चंचल हवा
कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में
के हम खो गये, प्यार की रागनी में
ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा
सितारों की महफ़िल नें कर के इशारा
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां होकिनारा
करे कोई दिल आरजू और क्या

कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे
रहे सांस जब तक ये बंधन ना टूटे
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा



गीतकार : शैलेंद्र
गायक : आशा - किशोर
संगीतकार : रवी
चित्रपट : दिल्ली का ठग (१९५८)

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